indian cinema heritage foundation

Koyi Gulam Nahi (1970)

Subscribe to read full article

This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $37/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.

Subscribe now

Not ready for a full subscription?

You can access this article for $2, and have it saved to your account for one year.

Pay Now
  • Release Date1970
  • LanguageHindi
Share
52 views

जब बेरहम दुर्जनसिंह विक्रमगढ़ की रानी महामाया का शीलभंग करने की कोशिश करता है तो वह उसका अेक पैर काट देती है. इसका बदला लेने के लिअे दुर्जनसिंह महामाया के पति विक्रमसिंह को लड़ाई के लिअे चुनौती देता है. दुर्जनसिंह हार जाता है; मगर वह कपट से विक्रमसिंह का खून कर देता है. अेक वफ़ादार नौकर काका महामाया को बचाकर ले जाता है; मगर विक्रमसिंह का छोटा बच्चा, वीरसिंह को दुर्जनसिंह, कैद में डाल देता है.

कई साल बीतते है. बच्चा वीरसिंह अब सुन्दर जवान हो जाता है, लेकिन उसे सभ्यता का पता नहीं. वह मनुष्य के चोले में जानवर है. काका वीरसिंह को बचाकर ले जाता है और उसे दीपा के हाथ में सौंप कर मर जाता है.

अपने प्यार से दीपा वीरसिंह को इनसान बनाती है. जब वीरसिंह अपनी माँ से मिलने जाता है तो माँ कहती है- "इस राज्य की सब औरतों के पैरों में दुर्जनसिंह ने बेड़ियाँ पहना दी हैं; जब तक सब आज़ाद नहीं होंगी मैं तुझ से नहीं मिलूँगी". वीरसिंह क़सम खता है कि वह माँ की इच्छा पूरा करेगा.

क़सम को पूरा करने में वीरसिंह को किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा?
उसने अपनी माँ को शेर के पंजे से कैसे छुड़ाया?
इन सवालों के दिलचस्प जवाब आप परदे पर देखिये.

[From the official press booklet]